हमारे सनातन धर्म में दान का बहुत महत्त्व है। शास्त्रानुसार धन की
तीन गतियां बताई गईं हैं- दान, भोग व नाश अर्थात जिस धन को ना दान किया
जाता है और ना ही उसे भोगा जाता है तो उसका नष्ट होना अवश्यंभावी है। इसमें
भी दान को प्रथम सोपान पर रखते हुए भोग से श्रेष्ठ बताया गया है।
सनातन धर्मानुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने उपार्जित धन व लाभ का दशांश
दान करना चाहिए। कुछ विशेष अवसरों पर किए गए दान अक्षय फलदायक होते हैं।
श्राद्धपक्ष उन्हीं अवसरों में से एक है जब आप अपने पितरों के निमित्त दान
कर उन्हें संतुष्ट कर सकते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्धपक्ष के इन 16 दिनों में वे कौन से दान हैं जो महादान की श्रेणी में आते हैं। शास्त्रानुसार इन दस वस्तुओं को महादान माना गया है। यदि श्राद्धपक्ष में इन दस महादानों को किया जाता है तो पितर संतुष्ट होकर अपने आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
दस महादान-
के
1. गाय
2. भूमि
3. तिल
4. स्वर्ण
5. चांदी
6. वस्त्र
7. गुड़
8. नमक
9. घी
10. धान्य