हिमपात होता है जब -
- वर्षा की बूंदें वायुमण्डल से गुजरते हुए हिमकणों में बदल जाती हैं
- वायु का तापमान धरातल के तापमान से अधिक नीचे हो जाता है
- 00 सेंटीग्रेड तापमान के नीचे संघनन प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है तथा हिमकणों के रूप में वर्षण होने लगता है
- संघनन कोहरे के रूप में होता है और हिमकणों के रूप में वर्षण होता है
पाला निर्माण के लिए आवश्यक दशाएँ हैं -
1. स्वच्छ आकाश
2. शांत या कम गतिशील पवन
3. निम्न आपेक्षिक आर्द्रता
4. 00 या इससे कम वायु तापमान
1. स्वच्छ आकाश
2. शांत या कम गतिशील पवन
3. निम्न आपेक्षिक आर्द्रता
4. 00 या इससे कम वायु तापमान
- 1, 2 और 4
- 1, 2 और 3
- 1, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
निम्न में से किस प्रकार का बादल स्वच्छ और अच्छे मौसम को सूचित नहीं करता -
- पक्षाभ मेघ
- कपासी मेघ
- कपासी-मध्य मेघ
- कपासी-वर्षा मेघ
निम्न में से कौन सा कथन व्यापारिक पवनों के सन्दर्भ में सत्य नहीं है -
- ये अश्व अक्षांश से डोलड्रम या शांत कटिबंध की ओर प्रवाहित होते हैं
- दक्षिणी गोलार्द्ध में ये दाँयीं ओर विक्षेपित होकर दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनों का रूप ले लेते हैं
- इनकी दिशा और शक्ति नियत रहती हैं
- इनके द्वारा कभी-कभी गहन वात गर्तों का निर्माण होता है
दक्षिणी गोलार्द्ध के प्रतिचक्रवात के सन्दर्भ में निम्न कथनों में से कौन सा कथन विशेष रूप से सत्य है -
- इनमें हवा की गति वृत्ताकार होती है
- केन्द्र से बाहर वायुदाब बढ़ते क्रम में होता है
- इसका निर्माण अधिकतर महाद्वीपों के ऊपर होता है
- इसमें हवा की गति घड़ी की सुइयों के विपरीत दिशा में होती है
वायुमण्डल में उपस्थित जल -
- तापमान वृद्धि के साथ बढ़ता है
- तापमान वृद्धि के साथ घटता है
- तापमान वृद्धि के साथ कभी बढ़ता है तो कभी घटता है
- इनमें से कोई नहीं
सुपरसॉनिक (ध्वनि की गति से भी तीव्र गति से चलने वाले) विमानों की उड़ान के लिए सर्वाधिक सुविधाजनक वायुमण्डलीय परत है -
- क्षोभ मण्डल
- समताप मण्डल
- मध्य मण्डल
- आयन मण्डल
निम्न में से किस मेघ के कारण दिन में सूर्य तथा रात में चन्द्रमा के चारों ओर प्रभामण्डल का निर्माण हो जाता है?
- कपासी मेघ
- पक्षाभ मेघ
- पक्षाभ स्तरी मेघ
- पक्षाभ कपासी मेघ
निम्न में से कौन सी पवनें विशेष रूप से मौसमी पवनें हैं?
- मानसून पवनें
- चक्रवातीय पवनें
- अवरोही पवनें
- सनातन पवनें
समुद्री तट के सहारे कोहरे के निर्माण का कारण है -
- अभिवहन
- संचालन
- संवहन
- विकिरण
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